Sunday, June 7, 2020

JIVAN SE BADI DHAROHAR KUCH NHI

दरसल इकोनॉमी की आज जैसी हालत है.
अभी और हज़ारों-लाखों लोगों की नौकरी जाएगी.
वैसे भी जैसे-जैसे उम्र और सैलरी बढ़ती जाती है... पुरानी नौकरी जाने की संभावना उतनी ही ज़्यादा और नई नौकरी मिलने की संभावना उतनी ही कम रहती है... तो फिर क्या करें ?

1- बचत... 
आज भी इसका कोई विकल्प नहीं है.. आपकी सैलरी 2,00,000 हो या 20,000 की। एक निश्चित रकम हमेशा बचाएं। कम से कम 6 महीने का बफर स्टॉक तो रखें।

अगर आप डेढ़ लाख महीना कमाने के बावजूद नौकरी जाने के महज एक महीने के भीतर आत्महत्या कर लें.. आपका डेबिट और क्रेडिट कार्ड खाली हो तो ये मानिए पूरी तरह से गलती आपकी रही होगी। 

2- शौक के हिसाब से नहीं ज़रूरत के हिसाब से रहें.. आदत मत पालिए ...ब्रांडेड कपड़े पहनना, रेस्तरां में खाना, मॉल और मल्टीप्लेक्स में जाना अच्छा लगता है लेकिन इनके बगैर ज़िंदगी नहीं रुकती..अगर इस मद में कटौती की जाए तब भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

3- मां-बाप आज भी पैसों से ज़्यादा आपको चाहते हैं। क्या हो गया अगर आप बड़े हो गए ? अगर आप अपने माता-पिता को अपनी आर्थिक स्थिति) की सही जानकारी देंगे तो आपको आर्थिक और भावनात्मक दोनों तरह की मदद मिलेगी.. उनसे मदद मांगकर आप छोटे नहीं हो जाएंगे.. आत्मसम्मान बाहर वालों के लिए होता है.. घर वालों से मदद मांगने में नाक छोटी नहीं हो जाएगी.. 

4- खानदानी प्रॉपर्टी.. 
आप भले ही मूर्ख हों और बचत नहीं करते हों लेकिन आपके माता-पिता और दादा-दादी ऐसे नहीं थे..उन्होंने अपनी सीमित कमाई के बावजूद बचत कर कुछ प्रॉपर्टी जोड़ी होती है... गांव में कुछ ज़मीन ज़रूर होती है...तो याद रखिए कोई भी प्रॉपर्टी या ज़मीन-जायदाद ज़िंदगी से बड़ी नहीं है... मुसीबत के वक्त उसे बेचने में कोई बुराई नहीं है।

5- धैर्य और धीरज रखें..
आपकी कंपनी के गेट पर जो सिक्योरिटी गार्ड तैनात रहता हैं उनमें से ज़्यादातर की सैलरी 10 से 20 हज़ार के बीच रहती है... देश में आज भी ज़्यादातर लोग 20 हज़ार रूपये महीने से कम ही कमाते हैं.. कभी सुना है किसी कम सैलरी वाले को आर्थिक वजह से आत्महत्या करते हुए ? खुदकुशी के रास्ता अमूमन ज़्यादा सैलरी वाले लोग और व्यापारी ही चुनते हैं. पैसा जितना ज्यादा आता है। ज़िंदगी की जंग लड़ने की ताकत उसी अनुपात में कम होती जाती है। पैसा कमाइए लेकिन जीवटता को भी जिंदा रखिए। इमरजेंसी में काम आएगी।

6- हालात का सामना करें- 
इसमें कोई शक नहीं कि बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने का फैशन है लेकिन सरकारी स्कूल अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुवे हैं... याद रखिए आपमें से कई लोग सरकारी स्कूल में पढ़कर ही यहां तक पहुंचे हैं... अब भी कई लोग हैं जो सरकारी स्कूल में पढ़कर UPSC Crack कर रहे हैं... इसलिए अगर नौकरी ना रहे तो बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ने को बेइज़्ज़ती मत समझिए... हो सकता है शुरू में बच्चों को अजीब लगे लेकिन बाद में वो भी समझ जाएंगे।

7-  लचीलापन रखिए...
अगर आपको पिछली नौकरी में 75 हज़ार या एक लाख रुपये सैलरी मिलती थी तो ज़रूरी नहीं कि नई भी इतनी की ही मिले... मार्केट में नौकरी का घोर संकट है..और इस गलतफहमी में मत रहिए कि आप बहुत टैलेंटेड हैं। टैलेंट बहुत हद तक मालिक और बॉस के भरोसे पर रहता है मालिक या बॉस ने मान लिया कि आप टैलेंटेड हैं तो फिर हैं। एक बार रोड पर आ गए तो टैलेंट धरा का धरा रह जाएगा। आपसे टैलेंटेड लोग मार्केट में खाली घूम रहे हैं।

8- असफलता का स्वाद... 
यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है, इसको हम सभी को पूरा करना चाहिए। हमारे जीवन में सफलता का जितना महत्व है उतना ही असफलता का भी होना चाहिए। हमें अपने आप को, अपने बच्चों को और परिवार को यह बताना चाहिए कि हमें किसी भी कार्य में, परीक्षा में, बिजनेस में, खेल में, कृषि में असफलता भी मिल सकती हैं। असफलता का स्वाद हमें हमारे बच्चों को बचपन में ही सिखा देना चाहिए। अगर आप बच्चे के साथ कोई गेम खेल रहे हैं, कुश्ती लड़ रहे हैं, तो उस गेम में हमेशा उसको जीताए नहीं, उसे हराए और उसे हार का सामना करना भी सिखाएं। उसे बताएं कि सिक्के के दो पहलू होते हैं- कभी एक ऊपर रहता है, कभी दूसरा ऊपर रहता है अर्थात समय हमेशा एक सा नहीं रहता है।

अगर वह हमेशा जीतेगा या आप उसे जिताएंगे तो उसे यह कभी पता ही नहीं चलेगा कि जीवन में असफलता भी मिलती है और भगवान ना करें बड़ा होने पर उसे कोई असफलता मिलती है तो वह उसका सामना ही ना कर पाएं और हिम्मत हार जाएं।

इसे साकारात्मक लें, हमलोगो को जीवन भर कुछ न कुछ हमेशा सिखते रहना है यही बताया गया है लेकिन कोरोना वायरस के चलते हुए लाकडाउन ने जो सिखाया उसके बारे में हम ने कभी सोचा भी नहीं था, लेकिन जीवन का आनंद इसी में है कि व्यक्ति हर विपरित परिस्थितियों मे भी मुस्करा कर आगे बढ़ें...

ये ज़िन्दगी बहुत रुलाएगी
ये ज़िन्दगी बहुत सताएगी
ये ज़िन्दगी बहुत हंसाएगी, 

लेकिन आपको #साकारात्मक ही रहना होगा। 

इसलिए बचत करने की आदत आज से ही शुरू करें!!

 वास्तिविक जीवन जीने की कोशिश करें।

क्योंकि जीवन से बडी बहुमूल्य धरोहर कुछ भी नही मतलब कुछ भी नही..

Monday, April 20, 2020

नकारात्मक सोच से छुटकारा | How to End Negativity

आज के समय में नकारात्मक सोच जीवन को घेरे हुए हैं और यह जीवन प्रगति में बाधा उत्पन्न करती हैं | मनुष्य ईर्षा, द्वेष के जाल में बंधता चला जा रहा हैं |और यह सभी भाव मनुष्य की प्रगति में बाधक हैं |मनुष्य निरंतर इस तरह की सोच में अपने आप ही जीवन के स्वर्णिम पलो को खत्म कर रहा हैं | अगर आप खुद ऐसे नकारात्मक भाव से पिढीत हैं या आपके दोस्त अथवा रिश्तेदार में आपको इस तरह के भाव दिख रहे हैं तब आप निम्न लिखे तरीके आजमा  सकते है सबसे पहले नकारात्मक विचार (Negativity)को समझे और जाने कि आप किस भाव से ग्रसित हैं और इसे स्वीकारने में हींचके नहीं यह तुलना आपने तक ही सीमित रहकर कर सकते हैं आपको नकारात्मक भाव से दूर होने के लिए स्वयं के अलावा किसी की जरुरत नहीं है,


  • अपने आपको हमेशा दूसरों की तुलना में कम अथवा अधिक आंकना
  • दूसरों में हमेशा खामी निकालना
  • अपने आपको हमेशा अपमानित समझना जैसे घर में कार्यक्रम के वक़्त किसी ने आपसे खाने का ना पूछा हो इस तरह के कई भाव जब आपको लगता हैं कि आपको आदर नहीं मिल रहा हैं |
  • हर व्यक्ति में कोई ना कोई कमी होती हैं लेकिन उसे दिल और दिमाग में बैठाकर अपने आपको हीन दृष्टि से देखना भी नकारत्मक भाव हैं |
  • असंतुष्ट रहना अर्थात अपने जीवन, अपने काम से लगाव ना होना और सदैव इस ग्लाh
  • छोटी सी बात में दुखी होना और अपने आपको और दुसरो को कष्ट देना |
  • किसी भी कार्य को करने से पहले उसके सकारात्मक पहलू को देखने से पहले नकारात्मक पहलू को देखना |
  • सामने आई कोई भी वस्तु जैसे भोजन अथवा वस्त्र आदि में बुराई ढूँढना |
पुराणों में भी लिखा गया हैं कि मनुष्य सर्वप्रथम खुद के प्रति उत्तरदायी होता हैं हमारा पहला कर्तव्य स्वयं के प्रति होता हैं इसका मतलब यह नहीं हैं कि हम स्वार्थी बन जाए लेकिन जब तक आप अपने आप से प्यार नहीं करेंगे तब तक किसी को खुश नहीं रख सकते हैं |
किसी का भी जीवन सामान्य नहीं हैं लेकिन अपने दुखो के लिए व्यक्ति की नकारात्मक सोच ज़िम्मेदार होती हैं | संघर्ष जीवन का एक अभिन्न हिस्सा हैं |इसे भार और दुःख की तरह लेंगे तो भगवान का दिया यह सुन्दर जीवन अभिशाप की तरह प्रतीत होगा |
अतः आवश्यक हैं कि अपने भीतर झाँककर देखे और अपनी तकलीफों को दूर करे |

Positive Thinking Status in Hindi | सकारात्मक सोच पर ...

नकारात्मक सोच से छुटकारा (How to End Negativity In Hindi)
जीवन को नकारात्मक सोच से कैसे मुक्ति पाये इसके लिए आसान तरीके लिखे गये हैं जिन्हें आप अपने डेली रूटीन के साथ आसानी से जीवन में शामिल कर सकते हैं | लेकिन इसके लिए आपको अपने आपको जगाना होगा साथ ही आपकी सोच नकारात्मक हैं इसे स्वीकार करना होगा जो कि बहुत बड़ी बात नहीं हैं | आज कल क्राइम और धोखा धडी के साथ परिवारों में बढ़ती दूरियों के कारण नकारात्मकता बढ़ती ही जा रही हैं |
  1. सुबह की शुरुवात :
दिन की शुरुवात प्रसन्नचित्त मन से करे जिसके लिए सुबह जल्दी उठे | पर्यावरण का वह समय जब सूर्य पूर्व की ओर होता हैं और पक्षियों कि आवाज़ से आकाश गुंजायामान होता हैं उस वक्त घर से बाहर निकल कर घांस पर नंगे पैर चले और जीवन के सुखद पलो को याद करे |  
  1. कुछ पल के लिए ईश्वर में ध्यान लगाये
हालाँकि आज के वक्त में कोई इस बात पर विश्वास नहीं करता लेकिन आप अपने मन को एकाग्र बनाने के लिए ही यह कर सकते हैं | आध्यात्म भी विज्ञानं का एक रूप हैं उसे बहुत अधिक नहीं लेकिन दिन के 5 मिनिट ईश्वर की उपासना में देने से व्यक्ति के जीवन में उत्साह आता हैं क्यूंकि हम जाने अनजाने अपनी सारी परेशानी को ईश्वर को सौंप देते हैं जिससे हमें आत्म शांति का अनुभव होता हैं |
  1. व्यायाम अथवा योगा को जीवन हिस्सा बनाये
व्यायाम अथवा योगा हमेशा शारीरिक स्वास्थ्य के लिए ही उपयोगी नहीं हैं इससे मानसिक विकास भी होता हैं | दिन में 30 मिनिट्स वाक करना, प्राणायाम करना, योगा करना एवम जिम जैसी जगहों पर दिन का 1 घंटा अपने शरीर को देना अनिवार्य होना चाहिये इससे जीवन में सकारात्मक भाव उत्पन्न होते हैं | मिजाज़ खुश रहता हैं मानसिक संतोष बना रहता हैं |
  1. ध्यान लगाये :
दिन भर में 15 मिनिट ध्यान की मुद्रा में बैठे जिसमे आपके हाथ की तर्जनी एवम अंगूठे को जोड़कर हाथ की कलाई को घुटनों पर रखे | और सुखासन अर्थात आलती पालती मारकर बैठे | इस मुद्रा में बैठ कर लंबी लंबी श्वास के साथ ॐ का उच्चारण करें |
  1. मांसाहार ना खाये अथवा कम खायें
मांस खाने वाले व्यक्ति उग्र एवम शैतानी दिमाग के हो जाते हैं जैसे जंगली जानवर | हमारा मानव शरीर इस तरह के खाद्य पदार्थ को पचाने के लिए नहीं बना हैं अगर हम अधिक मात्रा में इस तरह का खाना खाते हैं तो हमारे विचारों के नकारात्मकता का आना स्वाभाविक हैं | अगर आप मांस खाना पसंद करते हैं तो उसे कभी कभी ले जिससे आपका मन भी संतुष्ट होगा और उसका दुष्प्रभाव भी कम होगा |
  1. मदिरा पान ना करे :
मदिरा भी नकारात्मक विचारो को जन्म देती हैं रोजाना उसके इस्तेमाल से मनुष्य जानवर की तरह बर्ताव करने लगता हैं उसका अपनी इन्द्रियों पर से कण्ट्रोल खत्म होने लगता हैं | अतः मदिरा/ अल्कोहल का इस्तेमाल ना अथवा कम से कम करें |
  1. सात्विक भोजन करे
भोजन मनुष्य के विचारो के लिए उत्तरदायी होता हैं अगर हम हल्का सात्विक बिना लहसन, प्याज का भोजन करते हैं तो हमें हल्का महसूस होता हैं और हमारे विचारो पर भी इसका प्रभाव पड़ता हैं |सात्विक भोजन मनुष्य की सोच को सकारात्मक दिशा देता हैं |
  1. हँसने की आदत डाले
यह एक तरह की थेरेपी हैं बिना किसी वजह के रोजाना 5 से 10 मिनट जोर जोर से हँसे | इससे मिजाज खुशनुमा होता हैं | ब्लड प्रेशर कण्ट्रोल रहता हैं और विचारो में सकर्त्मकता आती हैं | हँसने के लिए किसी मौके की तलाश ना करे बस यूँही जोर जोर से हँसे अपने आप ही यह आपकी आदत में आ जायेगा |
  1. बच्चो के साथ समय व्यतीत करें
बच्चे बहुत ही प्यारे होते हैं अगर आपके घर में कोई बच्चे हैं तो उनके साथ खेले, बाते करें उनके सवालों का जवाब दे और उनकी बाते को उनके नज़रिये को सुने, समझे | तब आपको अहसास होगा कि दुनियाँ में कितना भोलापन भी हैं |अगर घर में बच्चे नहीं हैं तो कॉलोनी के बच्चो के साथ दोस्ती करे और उनसे मिले | चाहे कोई कुछ भी कहे पर आप अपनी ख़ुशी के लिए जो करना चाहे करें |
                  10 दोस्त बनाये :
आमतौर पर लड़कियों की शादी होने के बाद उनके दोस्त छुट जाते हैं और वे इस कारण बहुत अकेली और उदासीन हो जाती हैं इसलिए सभी उम्र के व्यक्तियों को अपना एक सर्कल बनाना चाहिये | हम उम्र दोस्तों के साथ समय बिताना अच्छी- अच्छी बाते करना यह जीवन का हिस्सा होना चाहिये |

Sunday, April 5, 2020

Believe in yourself



Believe in yourself : 


कभी हिम्मत मत हारो! एक बार स्वयं पर विश्वास रखकर आगे कदम बढ़ाकर तो देखो! रास्ते स्वयं नजर आते चले जायेंगे और यदि आपका विश्वास अटल रहा तो मंजिल भी आपका इंतजार करते नजर आ जाएगी।”

AADMI JAISA SOCHTA HAI WAISA BANTA HAI

AADMI JAISA SOCHTA HAI WAISA BANTA HAI


जापान में एक पुरानी कथा है...........

एक छोटे से राज्य पर एक बड़े राज्य ने आक्रमण कर दिया।
उस राज्य के सेनापति ने राजा से कहा कि आक्रमणकारी सेना के पास बहुत संसाधन है हमारे पास सेनाएं कम है संसाधन कम है हम जल्दी ही हार जायेंगे बेकार में अपने सैनिक कटवाने का कोई मतलब नहीं।
इस युद्ध में हम निश्चित हार जायेंगे और इतना कहकर सेनापति ने अपनी तलवार नीचे रख दिया।
अब राजा बहुत घबरा गया अब क्या किया जाए, फिर वह अपने राज्य के एक बूढे फकीर के पास गया और सारी बातें बताई।

फकीर ने कहा उस सेनापति को फौरन हिरासत में ले लो उसे जेल भेज दो। नहीं तो हार निश्चित है।
यदि सेनापति ऐसा सोचेगा तो सेना क्या करेंगी।

"आदमी जैसा सोचता है वैसा हो जाता है।"

फिर राजा ने कहा कि युद्ध कौन करेगा।
फकीर ने कहा मैं,
वह फकीर बूढ़ा था, उसने कभी कोई युद्ध नहीं लड़ा था और तो और वह कभी घोड़े पर भी कभी चढ़ा था। उसके हाथ में सेना की बागडोर कैसे दे दे।
लेकिन कोई दूसरा चारा न था।
वह बूढ़ा फकीर घोड़े पर सवार होकर सेना के आगे आगे चला।
रास्ते में एक पहाड़ी पर एक मंदिर  था। फकीर सेनापति वहां रुका और सेना से कहा कि पहले मंदिर के देवता से पूछ लेते हैं कि हम युद्ध में जीतेंगे कि हारेंगे।
सेना हैरान होकर पूछने लगी कि देवता कैसे बतायेंगे और बतायेंगे भी तो हम उनकी भाषा कैसे समझेंगे।
बूढ़ा फकीर बोला ठहरो मैंने आजीवन देवताओं से संवाद किया है मैं कोई न कोई हल निकाल लूंगा।
फिर फकीर अकेले ही पहाड़ी पर चढा और कुछ देर बाद वापस लौट आया।
फकीर ने सेना को संबोधित करते हुए कहा कि मंदिर के देवता ने मुझसे कहा है कि यदि रात में मंदिर से रौशनी निकलेगी तो समझ लेना कि दैविय शक्ति तुम्हारे साथ है और युद्ध में अवश्य तुम्हारी जीत हासिल होगी।

सभी सैनिक साँस रोके रात होने की प्रतीक्षा करने लगे। रात हुई और उस अंधेरी रात में मंदिर से प्रकाश छन छन कर आने लगा ।
सभी सैनिक जयघोष करने लगे और वे युद्ध स्थल की ओर कूच कर गए ।
21 दिन तक घनघोर युद्ध हुआ फिर सेना विजयी होकर लौटीं।

रास्ते में वह मंदिर पड़ता था।
जब मंदिर पास आया तो सेनाएं उस बूढ़े फकीर से बोली कि चलकर उस देवता को धन्यवाद दिया जाए जिनके आशीर्वाद से यह असम्भव सा युद्ध हमने जीता है।
सेनापति बोला कोई जरूरत नहीं ।।
सेना बोली बड़े कृतघ्न मालूम पड़ते हैं आप जिनके प्रताप से आशीर्वाद से हमने इस भयंकर युद्ध को जीता उस देवता को धन्यवाद भी देना आपको मुनासिब नही लगता।

तब उस बूढ़े फकीर ने कहा , वो दीपक मैंने ही जलाया था जिसकी रौशनी दिन के उजाले में तो तुम्हें नहीं दिखाई दिया पर रात्रि के घने अंधेरे में तुम्हे दिखाई दिया।

तुम जीते क्योंकि तुम्हे जीत का ख्याल निश्चित हो गया।
विचार अंततः वस्तुओं में बदल जाती है।
विचार अंततः घटनाओं में बदल जाती है।

Monday, March 30, 2020

Corona virus ke symptoms ko pehchane



◇  सूखी खाँसी + छींक  =  *वायु-प्रदूषण*

 ○  खाँसी  + बलगम + छींक + बहती नाक  = *साधारण ज़ुकाम*

 ●  खाँसी  + बलगम + छींक  + बहती नाक  + शरीर दर्द  + कमजोरी  +  हलका बुखार  = *फ्लयू*

 ■  सूखी खाँसी  + छींक  +  शरीर दर्द +  कमजोरी  +  तेज़ बुखार  + साँस लेने में तकलीफ  =

  *कोरोनावायरस* हो सकता है,,,,,,, तुरंत डॉक्टर की सलाह ले
               
        

Sunday, March 29, 2020

kya hai corona virus

                           क्या है कोरोना वायरस 


                                     कोरोना वायरस का सम्बद्ध वायरस के ऐसे परिवार  से है

                                    जिसके  संक्रमण में जुकाम से लेकर  सास लेने में तकलीफ 

                                    जैसे समस्या  हो सकती है  इस वायरस को पहले कभी नहीं 
                                     
                                   देखा गया है इस वायरस का संक्रमण दिसम्बर में चीन के वूहान 

                                    में शुरू हुआ था  डब्लूएचओ के मुताबिक , बुखार , खासी , सास

                                    लेने में तकलीफ  इसके लक्षण है  अब तक इस वायरस को फैलने 

                                    से रोकने वाला टीका नहीं बना है  

CORONA VIRUS KE SYPTOM

कोरोना वायरस के लक्षण:


                                     
                                    १. बुखार 

                                    २. सास लेने में दिकत 

                                    ३. खासी 

                                    ४.छाती में जकड़न  

                                    ५ नाक से पानी बहना 

                                    ६.सिरदर्द    

                                    ७.बीमार महसूस करना 

                                    ८. निमोनिआ 

                                     ९. किडनी ख़राब होना      

              केवल लक्षणों के आधार  पर बीमारी की पहचान करना मुश्किल हो सख्ता है 
              इस प्रकार लक्षण आप के शरीर में दिखाई दे तो अपने डॉक्टर जरूर सलाह ले 

JIVAN SE BADI DHAROHAR KUCH NHI

दरसल इकोनॉमी की आज जैसी हालत है. अभी और हज़ारों-लाखों लोगों की नौकरी जाएगी. वैसे भी जैसे-जैसे उम्र और सैलरी बढ़ती जाती है... पुरानी नौकरी जाने...