Sunday, April 5, 2020

AADMI JAISA SOCHTA HAI WAISA BANTA HAI

AADMI JAISA SOCHTA HAI WAISA BANTA HAI


जापान में एक पुरानी कथा है...........

एक छोटे से राज्य पर एक बड़े राज्य ने आक्रमण कर दिया।
उस राज्य के सेनापति ने राजा से कहा कि आक्रमणकारी सेना के पास बहुत संसाधन है हमारे पास सेनाएं कम है संसाधन कम है हम जल्दी ही हार जायेंगे बेकार में अपने सैनिक कटवाने का कोई मतलब नहीं।
इस युद्ध में हम निश्चित हार जायेंगे और इतना कहकर सेनापति ने अपनी तलवार नीचे रख दिया।
अब राजा बहुत घबरा गया अब क्या किया जाए, फिर वह अपने राज्य के एक बूढे फकीर के पास गया और सारी बातें बताई।

फकीर ने कहा उस सेनापति को फौरन हिरासत में ले लो उसे जेल भेज दो। नहीं तो हार निश्चित है।
यदि सेनापति ऐसा सोचेगा तो सेना क्या करेंगी।

"आदमी जैसा सोचता है वैसा हो जाता है।"

फिर राजा ने कहा कि युद्ध कौन करेगा।
फकीर ने कहा मैं,
वह फकीर बूढ़ा था, उसने कभी कोई युद्ध नहीं लड़ा था और तो और वह कभी घोड़े पर भी कभी चढ़ा था। उसके हाथ में सेना की बागडोर कैसे दे दे।
लेकिन कोई दूसरा चारा न था।
वह बूढ़ा फकीर घोड़े पर सवार होकर सेना के आगे आगे चला।
रास्ते में एक पहाड़ी पर एक मंदिर  था। फकीर सेनापति वहां रुका और सेना से कहा कि पहले मंदिर के देवता से पूछ लेते हैं कि हम युद्ध में जीतेंगे कि हारेंगे।
सेना हैरान होकर पूछने लगी कि देवता कैसे बतायेंगे और बतायेंगे भी तो हम उनकी भाषा कैसे समझेंगे।
बूढ़ा फकीर बोला ठहरो मैंने आजीवन देवताओं से संवाद किया है मैं कोई न कोई हल निकाल लूंगा।
फिर फकीर अकेले ही पहाड़ी पर चढा और कुछ देर बाद वापस लौट आया।
फकीर ने सेना को संबोधित करते हुए कहा कि मंदिर के देवता ने मुझसे कहा है कि यदि रात में मंदिर से रौशनी निकलेगी तो समझ लेना कि दैविय शक्ति तुम्हारे साथ है और युद्ध में अवश्य तुम्हारी जीत हासिल होगी।

सभी सैनिक साँस रोके रात होने की प्रतीक्षा करने लगे। रात हुई और उस अंधेरी रात में मंदिर से प्रकाश छन छन कर आने लगा ।
सभी सैनिक जयघोष करने लगे और वे युद्ध स्थल की ओर कूच कर गए ।
21 दिन तक घनघोर युद्ध हुआ फिर सेना विजयी होकर लौटीं।

रास्ते में वह मंदिर पड़ता था।
जब मंदिर पास आया तो सेनाएं उस बूढ़े फकीर से बोली कि चलकर उस देवता को धन्यवाद दिया जाए जिनके आशीर्वाद से यह असम्भव सा युद्ध हमने जीता है।
सेनापति बोला कोई जरूरत नहीं ।।
सेना बोली बड़े कृतघ्न मालूम पड़ते हैं आप जिनके प्रताप से आशीर्वाद से हमने इस भयंकर युद्ध को जीता उस देवता को धन्यवाद भी देना आपको मुनासिब नही लगता।

तब उस बूढ़े फकीर ने कहा , वो दीपक मैंने ही जलाया था जिसकी रौशनी दिन के उजाले में तो तुम्हें नहीं दिखाई दिया पर रात्रि के घने अंधेरे में तुम्हे दिखाई दिया।

तुम जीते क्योंकि तुम्हे जीत का ख्याल निश्चित हो गया।
विचार अंततः वस्तुओं में बदल जाती है।
विचार अंततः घटनाओं में बदल जाती है।

No comments:

Post a Comment

JIVAN SE BADI DHAROHAR KUCH NHI

दरसल इकोनॉमी की आज जैसी हालत है. अभी और हज़ारों-लाखों लोगों की नौकरी जाएगी. वैसे भी जैसे-जैसे उम्र और सैलरी बढ़ती जाती है... पुरानी नौकरी जाने...