आज के समय में नकारात्मक सोच जीवन को घेरे हुए हैं और यह जीवन प्रगति में बाधा उत्पन्न करती हैं | मनुष्य ईर्षा, द्वेष के जाल में बंधता चला जा रहा हैं |और यह सभी भाव मनुष्य की प्रगति में बाधक हैं |मनुष्य निरंतर इस तरह की सोच में अपने आप ही जीवन के स्वर्णिम पलो को खत्म कर रहा हैं | अगर आप खुद ऐसे नकारात्मक भाव से पिढीत हैं या आपके दोस्त अथवा रिश्तेदार में आपको इस तरह के भाव दिख रहे हैं तब आप निम्न लिखे तरीके आजमा सकते है सबसे पहले नकारात्मक विचार (Negativity)को समझे और जाने कि आप किस भाव से ग्रसित हैं और इसे स्वीकारने में हींचके नहीं यह तुलना आपने तक ही सीमित रहकर कर सकते हैं आपको नकारात्मक भाव से दूर होने के लिए स्वयं के अलावा किसी की जरुरत नहीं है,
- अपने आपको हमेशा दूसरों की तुलना में कम अथवा अधिक आंकना
- दूसरों में हमेशा खामी निकालना
- अपने आपको हमेशा अपमानित समझना जैसे घर में कार्यक्रम के वक़्त किसी ने आपसे खाने का ना पूछा हो इस तरह के कई भाव जब आपको लगता हैं कि आपको आदर नहीं मिल रहा हैं |
- हर व्यक्ति में कोई ना कोई कमी होती हैं लेकिन उसे दिल और दिमाग में बैठाकर अपने आपको हीन दृष्टि से देखना भी नकारत्मक भाव हैं |
- असंतुष्ट रहना अर्थात अपने जीवन, अपने काम से लगाव ना होना और सदैव इस ग्लाh
- छोटी सी बात में दुखी होना और अपने आपको और दुसरो को कष्ट देना |
- किसी भी कार्य को करने से पहले उसके सकारात्मक पहलू को देखने से पहले नकारात्मक पहलू को देखना |
- सामने आई कोई भी वस्तु जैसे भोजन अथवा वस्त्र आदि में बुराई ढूँढना |
पुराणों में भी लिखा गया हैं कि मनुष्य सर्वप्रथम खुद के प्रति उत्तरदायी होता हैं हमारा पहला कर्तव्य स्वयं के प्रति होता हैं इसका मतलब यह नहीं हैं कि हम स्वार्थी बन जाए लेकिन जब तक आप अपने आप से प्यार नहीं करेंगे तब तक किसी को खुश नहीं रख सकते हैं |
किसी का भी जीवन सामान्य नहीं हैं लेकिन अपने दुखो के लिए व्यक्ति की नकारात्मक सोच ज़िम्मेदार होती हैं | संघर्ष जीवन का एक अभिन्न हिस्सा हैं |इसे भार और दुःख की तरह लेंगे तो भगवान का दिया यह सुन्दर जीवन अभिशाप की तरह प्रतीत होगा |
अतः आवश्यक हैं कि अपने भीतर झाँककर देखे और अपनी तकलीफों को दूर करे |
नकारात्मक सोच से छुटकारा (How to End Negativity In Hindi)
जीवन को नकारात्मक सोच से कैसे मुक्ति पाये इसके लिए आसान तरीके लिखे गये हैं जिन्हें आप अपने डेली रूटीन के साथ आसानी से जीवन में शामिल कर सकते हैं | लेकिन इसके लिए आपको अपने आपको जगाना होगा साथ ही आपकी सोच नकारात्मक हैं इसे स्वीकार करना होगा जो कि बहुत बड़ी बात नहीं हैं | आज कल क्राइम और धोखा धडी के साथ परिवारों में बढ़ती दूरियों के कारण नकारात्मकता बढ़ती ही जा रही हैं |
- सुबह की शुरुवात :
दिन की शुरुवात प्रसन्नचित्त मन से करे जिसके लिए सुबह जल्दी उठे | पर्यावरण का वह समय जब सूर्य पूर्व की ओर होता हैं और पक्षियों कि आवाज़ से आकाश गुंजायामान होता हैं उस वक्त घर से बाहर निकल कर घांस पर नंगे पैर चले और जीवन के सुखद पलो को याद करे |
- कुछ पल के लिए ईश्वर में ध्यान लगाये
हालाँकि आज के वक्त में कोई इस बात पर विश्वास नहीं करता लेकिन आप अपने मन को एकाग्र बनाने के लिए ही यह कर सकते हैं | आध्यात्म भी विज्ञानं का एक रूप हैं उसे बहुत अधिक नहीं लेकिन दिन के 5 मिनिट ईश्वर की उपासना में देने से व्यक्ति के जीवन में उत्साह आता हैं क्यूंकि हम जाने अनजाने अपनी सारी परेशानी को ईश्वर को सौंप देते हैं जिससे हमें आत्म शांति का अनुभव होता हैं |
- व्यायाम अथवा योगा को जीवन हिस्सा बनाये
व्यायाम अथवा योगा हमेशा शारीरिक स्वास्थ्य के लिए ही उपयोगी नहीं हैं इससे मानसिक विकास भी होता हैं | दिन में 30 मिनिट्स वाक करना, प्राणायाम करना, योगा करना एवम जिम जैसी जगहों पर दिन का 1 घंटा अपने शरीर को देना अनिवार्य होना चाहिये इससे जीवन में सकारात्मक भाव उत्पन्न होते हैं | मिजाज़ खुश रहता हैं मानसिक संतोष बना रहता हैं |
- ध्यान लगाये :
दिन भर में 15 मिनिट ध्यान की मुद्रा में बैठे जिसमे आपके हाथ की तर्जनी एवम अंगूठे को जोड़कर हाथ की कलाई को घुटनों पर रखे | और सुखासन अर्थात आलती पालती मारकर बैठे | इस मुद्रा में बैठ कर लंबी लंबी श्वास के साथ ॐ का उच्चारण करें |
- मांसाहार ना खाये अथवा कम खायें
मांस खाने वाले व्यक्ति उग्र एवम शैतानी दिमाग के हो जाते हैं जैसे जंगली जानवर | हमारा मानव शरीर इस तरह के खाद्य पदार्थ को पचाने के लिए नहीं बना हैं अगर हम अधिक मात्रा में इस तरह का खाना खाते हैं तो हमारे विचारों के नकारात्मकता का आना स्वाभाविक हैं | अगर आप मांस खाना पसंद करते हैं तो उसे कभी कभी ले जिससे आपका मन भी संतुष्ट होगा और उसका दुष्प्रभाव भी कम होगा |
- मदिरा पान ना करे :
मदिरा भी नकारात्मक विचारो को जन्म देती हैं रोजाना उसके इस्तेमाल से मनुष्य जानवर की तरह बर्ताव करने लगता हैं उसका अपनी इन्द्रियों पर से कण्ट्रोल खत्म होने लगता हैं | अतः मदिरा/ अल्कोहल का इस्तेमाल ना अथवा कम से कम करें |
- सात्विक भोजन करे
भोजन मनुष्य के विचारो के लिए उत्तरदायी होता हैं अगर हम हल्का सात्विक बिना लहसन, प्याज का भोजन करते हैं तो हमें हल्का महसूस होता हैं और हमारे विचारो पर भी इसका प्रभाव पड़ता हैं |सात्विक भोजन मनुष्य की सोच को सकारात्मक दिशा देता हैं |
- हँसने की आदत डाले
यह एक तरह की थेरेपी हैं बिना किसी वजह के रोजाना 5 से 10 मिनट जोर जोर से हँसे | इससे मिजाज खुशनुमा होता हैं | ब्लड प्रेशर कण्ट्रोल रहता हैं और विचारो में सकर्त्मकता आती हैं | हँसने के लिए किसी मौके की तलाश ना करे बस यूँही जोर जोर से हँसे अपने आप ही यह आपकी आदत में आ जायेगा |
- बच्चो के साथ समय व्यतीत करें
बच्चे बहुत ही प्यारे होते हैं अगर आपके घर में कोई बच्चे हैं तो उनके साथ खेले, बाते करें उनके सवालों का जवाब दे और उनकी बाते को उनके नज़रिये को सुने, समझे | तब आपको अहसास होगा कि दुनियाँ में कितना भोलापन भी हैं |अगर घर में बच्चे नहीं हैं तो कॉलोनी के बच्चो के साथ दोस्ती करे और उनसे मिले | चाहे कोई कुछ भी कहे पर आप अपनी ख़ुशी के लिए जो करना चाहे करें |
10 दोस्त बनाये :
आमतौर पर लड़कियों की शादी होने के बाद उनके दोस्त छुट जाते हैं और वे इस कारण बहुत अकेली और उदासीन हो जाती हैं इसलिए सभी उम्र के व्यक्तियों को अपना एक सर्कल बनाना चाहिये | हम उम्र दोस्तों के साथ समय बिताना अच्छी- अच्छी बाते करना यह जीवन का हिस्सा होना चाहिये |